बिहार के 12 ज़िले अब भूकंप Zone-5 में: Bhagalpur, Purnia, Araria पर बढ़ा खतरा, क्या बदलेगा घर–इमारत बनाने का तरीका?
हाल ही में seismic zone classification के नए आकलन के बाद बिहार के 12 ज़िलों, जिनमें Bhagalpur, Purnia, Araria जैसे ज़िले भी शामिल हैं, को अधिक भूकंप-जोखिम वाले क्षेत्र यानी Zone-5 में रखा गया है। Zone-5 वही इलाका होता है जहाँ भूकंप आने की संभावना और intensity दोनों ज़्यादा मानी जाती है। इसका सीधा असर इन जिलों में नई इमारतों, मकानों, अपार्टमेंट्स, स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी भवनों के निर्माण पर पड़ेगा।
इस आर्टिकल में हम समझेंगे:
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Zone-5 क्या होता है?
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Bihar ke kin 12 जिलों पर इसका असर पड़ेगा?
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Bhagalpur, Purnia, Araria जैसे ज़िलों में लोगों की ज़िंदगी पर क्या practical असर होगा?
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अब नए घर बनवाने पर कौन–कौन से norms और नियम अपनाने होंगे?
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आम लोग खुद को और अपने परिवार को भूकंप से कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?
Seismic Zone 5 क्या होता है? (What is Earthquake Zone-5?)
भारत को भूकंप जोखिम के आधार पर आम तौर पर चार जोन में बाँटा गया है – Zone-2, Zone-3, Zone-4 और Zone-5.
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Zone-2 – comparatively कम खतरे वाला क्षेत्र
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Zone-3 – moderate risk (मध्यम खतरा)
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Zone-4 – high risk (उच्च खतरा)
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Zone-5 – very high risk / सबसे ज़्यादा खतरे वाला क्षेत्र
जब किसी जिले को Zone-5 में रखा जाता है, तो इसका मतलब है कि:
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उस क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना ज़्यादा है
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अगर भूकंप आया तो उसकी intensity भी काफी तेज़ हो सकती है
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वहां की इमारतों, पुलों, flyovers, घरों, दफ्तरों, स्कूलों को खास तकनीक से बनाना ज़रूरी हो जाता है
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National Building Code (NBC) और IS Codes के हिसाब से ज़्यादा सख्त नियम लागू होते हैं
यानी simple भाषा में समझें, तो Bhagalpur, Purnia, Araria जैसे जिलों में अब ऐसे घर नहीं बनेंगे जो बस ईंट–सीमेंट से खड़े कर दिए जाएं। बल्कि earthquake resistant design अपनाना काफ़ी ज़रूरी हो जाएगा – वरना risk बढ़ जाएगा।
Bihar के किन 12 जिलों को Zone-5 में माना जा रहा है?
रिपोर्ट्स के अनुसार, seismic risk के आधार पर Bihar के उत्तर–पूर्वी और उत्तरी इलाके ज़्यादा sensitive माने जा रहे हैं। इनमें broadly ये ज़िले शामिल बताए जाते हैं (list अलग–अलग studies में थोड़ा आगे-पीछे हो सकती है):
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Araria
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Purnia (पूर्णिया)
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Bhagalpur
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Kishanganj
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Katihar
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Madhepura
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Supaul
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Saharsa
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Kosi belt के अन्य कुछ जिले
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नेपाल बॉर्डर से सटे कुछ क्षेत्र
इन जिलों की खास बात ये है कि:
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ये इलाका Indo-Nepal seismic belt के क़रीब पड़ता है
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यहां की मिट्टी, नदीयों की वजह से soil liquefaction (ज़मीन का हिलकर नरम पड़ जाना) का ख़तरा भी रहता है
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Ganga, Kosi, Mahananda जैसी नदियों के किनारे बसे होने के कारण यहाँ की भूमि का nature भी भूकंप में ज़्यादा प्रभावित हो सकता है
इसी वजह से वैज्ञानिक और engineers मानते हैं कि इन जिलों को Zone-5 में classify करना ज़रूरी है ताकि construction norms सख़्त हों और नुकसान कम हो सके।
Bhagalpur, Purnia, Araria के लोगों के लिए इसका मतलब क्या है?
अब सबसे बड़ा सवाल –
“Acha, humein इससे क्या फर्क पड़ेगा?”
1. नया घर, दुकान या मकान बनवाने वाले लोगों पर सीधा असर
अगर आप:
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नया घर बनवा रहे हैं
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पुराना घर तोड़कर दो–तीन मंज़िला मकान बनवाने की सोच रहे हैं
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कोई छोटा complex, किराये का मकान, lodge, coaching building, hospital, school आदि बनाना चाहते हैं
तो अब:
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आपको structural engineer या licensed engineer से earthquake resistant design बनवाना होगा
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drawing बनाने में IS Codes for seismic design का ध्यान रखना होगा
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local body (नगर परिषद, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत या development authority) भविष्य में नक्शा पास करते समय इन norms को apply कर सकती है
यानी “मिस्त्री जी ने जैसा बोला वैसा बना दिया” वाला model अब धीरे–धीरे risky होता जाएगा।
2. पुरानी इमारतें – खतरे की घंटी?
Bhagalpur, Purnia, Araria जैसे जिलों में बहुत से:
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पुराने मिट्टी के घर
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लकड़ी और खपरैल वाले मकान
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बिना proper foundation के बने पक्के मकान
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builder द्वारा बिना engineer के supervision के बनवाई गई multistorey buildings
ये सब अब उच्च जोखिम श्रेणी में आते हैं।
भूकंप आने पर सबसे ज़्यादा नुकसान इन्हीं structure को हो सकता है।
हालाँकि सरकार अचानक से सभी पुराने मकानों को तोड़ने की बात नहीं करती, लेकिन:
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retrofitting का concept आता है
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यानी पुराने घरों को कुछ तकनीकी बदलाव करके भूकंप–रोधी बनाना
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जैसे – कॉलम–बीम पर extra support, walls में band डालना, foundation को strong करना आदि
3. बैंक लोन, insurance और approval पर भी असर
भविष्य में संभव है कि:
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Banks home loan देते समय earthquake-resistant design की demand करें
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बड़ी commercial building या अपार्टमेंट के लिए approval से पहले structural safety report माँगी जाए
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Insurance companies भी seismic zone देखकर premium decide करें
ये सब steps ज़्यादा सुरक्षित construction को promote कर सकते हैं।
नए निर्माण के लिए कौन–कौन से norms अपनाने होंगे?
जब कोई district Zone-5 में आता है, तो engineers को Indian Standard Codes (जैसे IS 1893, IS 4326 आदि) के हिसाब से design करना होता है। सरल भाषा में कुछ basic principles ये हैं:

1. Strong Foundation (मजबूत नींव)
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नींव की गहराई और चौड़ाई soil test के हिसाब से तय की जाती है
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जहां मिट्टी soft या नदी के पास हो, वहां special foundation techniques लगती हैं
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बिना engineer की सलाह के सिर्फ “अनुमान” से नींव डालना future में खतरनाक हो सकता है
2. Column–Beam का सही Design
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हर मंज़िल पर कॉलम और बीम का size, spacing, iron bars की मात्रा scientific तरीके से तय होती है
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Overloading (यानि जितना design किया गया है उससे ज़्यादा load डालना – extra floor बना देना) बहुत खतरनाक होता है
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Zone-5 में किसी भी तरह की illegal extra floor future में जानलेवा साबित हो सकता है
3. Walls की proper bonding और band
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Plinth band, lintel band, roof band आदि देना ज़रूरी होता है
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ये बीच–बीच में घर को एक “box” की तरह मजबूती देते हैं
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brick masonry में proper mortar ratio और curing भी बहुत important है
4. Quality Materials का इस्तेमाल
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सस्ता सीमेंट, कम grade ki rod, ज़्यादा sand डाल कर कमजोर concrete बनाना – ये सब short term में सस्ता लगता है, लेकिन भूकंप में सिर्फ कुछ seconds में पूरी building गिरा सकता है
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इसलिए Zone-5 में material testing और certified brands की importance और बढ़ जाती है
5. Architect + Structural Engineer दोनों ज़रूरी
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Sirf सुंदर दिखने वाली building design enough नहीं है
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उसके साथ–साथ load, vibration, earthquake forces को ध्यान में रखने वाला structural design भी बहुत ज़रूरी है
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Bhagalpur, Purnia, Araria जैसे शहरों में local level पर अच्छे structural engineers की demand बढ़ेगी
सरकार और प्रशासन की क्या जिम्मेदारी बनती है?
जब किसी district को Zone-5 में डाला जाता है, तो सिर्फ आम लोगों की नहीं, सरकार और administration की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है:
1. Building bye-laws को update करना
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Nagar Nigam, Nagar Parishad, Nagar Panchayat, और गांवों के लिए building rules को update करना होगा
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नक्शा पास करने से पहले structural safety certificate की व्यवस्था करनी होगी
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Unauthorized और बिना नक्शा पास किए बनी buildings पर सख़्ती बढ़ सकती है
2. सरकारी इमारतों का audit
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स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, police station, block office, पंचायत भवन, court building – इन सबका structural safety audit जरूरी है
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जो इमारतें बहुत पुरानी और कमजोर हों, उन्हें या तो retrofitting से मजबूत करना होगा या phase-wise बदलना होगा
3. Awareness Campaign
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आम लोगों को ये समझाना कि भूकंप केवल “थोड़ा हिलने” का नाम नहीं, बल्कि गलत construction होने पर ये seconds में बड़ी त्रासदी में बदल सकता है
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घर बनवाते समय engineer की सलाह लेना कोई luxury नहीं, बल्कि ज़रूरत है
4. Disaster Management की तैयारी
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जिला प्रशासन को rescue team, NDRF/SDRF, medical teams की तैयारी रखनी होती है
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mock drill, school drills, public awareness camps जरूरी हैं
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Araria, Purnia, Bhagalpur जैसे जिलों में पहले से बाढ़ का खतरा रहता है, अब भूकंप risk भी गंभीर माना जा रहा है – यानी multi-disaster planning की जरूरत है
आम लोग भूकंप से कैसे बचाव कर सकते हैं? (Practical Tips)
Zone-5 में रहने का मतलब ये नहीं कि आप रोज़ डरकर जिएं। बल्कि थोड़ी सी तैयारी से बहुत बड़ा नुकसान टाला जा सकता है।
1. घर के अंदर की safety
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भारी अलमारी, showcase, fridge, पानी की टंकी आदि को दीवार से proper clamp से बांधकर रखें
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बेड के ऊपर भारी सामान या बड़ा glass शोपीस न रखें
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गैस cylinder और stove ऐसे जगह रखें कि emergency में जल्दी बंद कर सकें
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घर में एक emergency kit रखें –
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टॉर्च
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कुछ सूखा खाना
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basic दवाइयाँ
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पानी की बोतल
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जरूरी documents की photocopy
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2. भूकंप के समय क्या करें?
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अगर घर के अंदर हों –
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दौड़कर सीढ़ियों या lift की तरफ मत भागें
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किसी मज़बूत table या bed के नीचे “Drop, Cover, Hold” की पोजिशन लें
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खिड़की–दरवाज़े और दीवार के बीच की joint से दूर रहें
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अगर बाहर हों –
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electric poles, पेड़, buildings से दूर open area में जाएं
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भीड़ में धक्का-मुक्की से बचें
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3. भूकंप के बाद क्या करें?
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Gas leakage, बिजली की तार, दीवारों में बड़ी cracks आदि को ध्यान से देखें
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तुरंत building के अंदर वापस न जाएं, जब तक कि उसे सुरक्षित न माना जाए
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अफवाहों से बचें, केवल विश्वसनीय source की बात सुनें
🌍 Links
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Bureau of Indian Standards – IS 1893 (Earthquake Resistant Design of Structures)
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