Araria me thand ka prakop, IMD ka bada alert jari -ठंड का प्रकोप बढ़ने की चेतावनी: अररिया और सीमांचल के लिए IMD का बड़ा अलर्ट

बिहार के सीमांचल इलाक़े – विशेषकर अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया – के लिए भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले दिनों को लेकर ठंड बढ़ने की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग के ताज़ा अनुमान के मुताबिक़, दिसंबर के पहले हफ़्ते से न्यूनतम तापमान में गिरावट शुरू हो चुकी है और अगले कुछ दिनों में ठंडी हवाओं और कोल्ड वेव जैसे हालात बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

IMD की इस चेतावनी ने किसानों, मज़दूरों, स्कूली बच्चों और बुज़ुर्गों की चिंता बढ़ा दी है। अररिया की गलियों से लेकर गाँव के चौपाल तक अब चर्चा का मुख्य विषय यही है –

“इस बार ठंड कैसी पड़ेगी?”


IMD का अलर्ट क्या कहता है?

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक़,

  • उत्तर भारत से चलने वाली ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाएँ

  • और नेपाल की तराई से लगते सीमांचल के भौगोलिक हालात
    मिलकर दिसंबर के पहले हफ़्ते से अररिया और आसपास के जिलों में कड़ाके की ठंड को बढ़ावा देंगे।

अररिया क्षेत्र के लिए जारी ताज़ा पूर्वानुमान के अनुसार:

  • दिन का तापमान 25–28 डिग्री सेल्सियस के आस-पास,

  • जबकि रात का तापमान 12–14 डिग्री के नीचे फिसलने के आसार,

  • सुबह और देर रात के समय घना कोहरा / धुंध,

  • कई जगहों पर दृश्यता (visibility) कम होने से सड़क यातायात पर असर पड़ने की संभावना।

IMD ने साफ़ कहा है कि यह सीजन की शुरुआत है, और जैसे-जैसे दिसंबर आगे बढ़ेगा, ठंड का प्रकोप और बढ़ सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग, कृषि विभाग और स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने की ज़रूरत है।


सीमांचल में ठंड का मतलब – गरीब और मज़दूर वर्ग पर डबल मार

सीमांचल का इलाक़ा पहले से ही

  • गरीबी,

  • बेरोज़गारी,

  • और मौसमी पलायन
    जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में कड़ाके की ठंड यहाँ के आम लोगों के लिए सिर्फ़ मौसम नहीं, बल्कि जीवन का संघर्ष बन जाती है।

1. मज़दूर वर्ग पर असर

निर्माण स्थल, ईंट-भट्टा, खेतों और बाज़ारों में काम करने वाले मज़दूरों के लिए ठंड के दिन बेहद कठिन हो जाते हैं:

  • सुबह-सुबह ओस और ठंडी हवा के बीच काम शुरू करना मजबूरी होता है।

  • कई मज़दूरों के पास पर्याप्त गरम कपड़े नहीं होते।

  • ठंड बढ़ने पर दिहाड़ी मज़दूरों की काम के घंटे कम हो जाते हैं, जिससे कमाई घट जाती है

2. रिक्शा, ठेला और फुटपाथ विक्रेता

अररिया बाज़ार, फारबिसगंज, जोकीहाट, रानीगंज जैसे इलाक़ों में
रिक्शा चलाने वाले, ठेला लगाने वाले, फेरीवाले और फुटपाथ पर दुकान चलाने वालों की रोज़ी-रोटी पर भी ठंड का सीधा असर पड़ता है:

  • ठंड की वजह से लोग सुबह देर से बाज़ार निकलते हैं,

  • शाम को भी धुंध और ठंडी हवा के कारण जल्दी घर लौट आते हैं,

  • नतीजा – दुकानदारों की सेल घट जाती है और आमदनी पर बोझ पड़ता है।


स्वास्थ्य पर ठंड के बढ़ते प्रकोप का असर

IMD के ठंड के अलर्ट के साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी है। ठंड से सबसे ज़्यादा प्रभावित तीन वर्ग हैं:

  1. बच्चे

  2. बुज़ुर्ग

  3. पहले से बीमार लोग (ख़ासकर दमे/अस्थमा, दिल और शुगर के मरीज़)

आम बीमारियाँ जो ठंड में बढ़ जाती हैं

  • सर्दी, खांसी, बुखार

  • निमोनिया और ब्रोंकाइटिस

  • अस्थमा का अटैक

  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द

  • ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव

डॉक्टरों की सलाह है कि:

  • सुबह की कड़ी ठंड में बिना ज़रूरत घर से बाहर न निकलें,

  • बच्चों और बुज़ुर्गों को कई लेयर में कपड़े पहनाएँ,

  • शरीर को गर्म रखने के लिए गुड़, सत्तू, तिल, मूँगफली, सूखे मेवे जैसी चीज़ों का सेवन बढ़ाएँ,

  • अस्थमा या हार्ट की बीमारी वाले मरीज़ अपनी दवा और इनहेलर हमेशा साथ रखें और रूटीन चेकअप न छोड़ें।


किसान और रबी की फसल पर ठंड का असर

सीमांचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले किसान के लिए भी IMD का ये ठंड वाला अलर्ट बहुत मायने रखता है। दिसंबर के महीने में:

  • गेहूँ,

  • सरसों,

  • मटर,

  • चना जैसी रबी फसलें खेतों में बढ़ने के शुरुआती दौर में होती हैं।

ठंड अगर सामान्य सीमा में रहे तो इन फसलों के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन:

  • अत्यधिक पाला (frost)

  • और लगातार कोल्ड वेव
    फसल की बढ़वार को रोक सकते हैं या पौधों को जला भी सकते हैं।

किसानों को क्या ध्यान रखना चाहिए?

कृषि विशेषज्ञों और मौसम विभाग की सामान्य गाइडलाइन के अनुसार किसानों को ये सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

  • जहाँ पाला पड़ने की आशंका ज़्यादा हो, वहाँ हल्की सिंचाई करके मिट्टी को नम रखें – इससे ज़मीन का तापमान कुछ हद तक संतुलित रहता है।

  • बहुत ठंडी हवा चलने पर, विशेषकर सब्ज़ियों वाली फसल को पुआल या पॉलीथिन से ढकने की कोशिश करें।

  • खेत में बीमारी या कीट दिखते ही नज़दीकी कृषि केंद्र से सलाह लें, क्योंकि ठंड के साथ कई फफूंद रोग भी बढ़ते हैं।

  • मौसम विभाग की रोज़ की अपडेट पर नज़र रखें – मोबाइल में मौसम ऐप या लोकल रेडियो/समाचार चैनल से जानकारी लेते रहें।


स्कूली बच्चों के लिए प्रशासन को क्या करना चाहिए?

हर साल ठंड बढ़ने पर बिहार के कई ज़िलों में स्कूलों के समय में बदलाव या छुट्टी की घोषणा होती है। IMD के अलर्ट को देखते हुए, अररिया ज़िला प्रशासन से लोगों की यह मुख्य अपेक्षाएँ हैं:

  • कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के दिनों में प्राथमिक और मध्य विद्यालयों का समय आगे बढ़ाया जाए,

  • छोटे बच्चों (कक्षा 1 से 5) के लिए ज़रूरत पड़ने पर अस्थायी अवकाश घोषित किया जाए,

  • सरकारी स्कूलों में स्वेटर, टोपी और जूते वितरण जैसी योजनाओं की मॉनिटरिंग की जाए,

  • मॉर्निंग स्कूलों को दोपहर के सत्र में बदला जा सके तो उस पर विचार हो।

माता-पिता की भी ज़िम्मेदारी है कि:

  • बच्चों को बिना गरम कपड़ों के स्कूल न भेजें,

  • अगर बच्चा बीमार है तो ज़बरदस्ती स्कूल भेजने से बचें,

  • स्कूल बस/वैन की हालत और ड्राइवर की सावधानी पर ध्यान दें, क्योंकि धुंध में सड़क हादसों का ख़तरा बढ़ जाता है।


कोहरे का संकट: सड़क सुरक्षा पर बड़ा सवाल

IMD की चेतावनी सिर्फ़ ठंड तक सीमित नहीं, बल्कि उसके साथ आने वाले कोहरे के ख़तरे को भी दिखाती है। dense fog की वजह से:

  • हाईवे पर गाड़ियाँ 10–20 मीटर से ज़्यादा आगे साफ़ नहीं देख पातीं,

  • सुबह-सुबह ट्रक, बस, ऑटो और बाइक के बीच टक्कर की घटनाएँ बढ़ जाती हैं,

  • पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए सड़क पार करना जोखिम भरा हो जाता है।

सड़क पर चलने वालों के लिए ज़रूरी टिप्स

  1. हाई बीम से बचें – धुंध में हाई बीम से रोशनी वापस आंखों पर पड़ती है और देखने में और दिक्कत होती है।

  2. लो बीम और फ़ॉग लाइट का इस्तेमाल करें।

  3. गाड़ी की स्पीड कम रखें, अचानक ओवरटेक करने से बचें।

  4. बाइक सवार हेलमेट के साथ गरम कपड़े और ग्लव्स ज़रूर पहनें, ताकि ठंड की वजह से हाथ सुन्न न हों।

  5. पैदल यात्री और साइकिल सवार रिफ्लेक्टिव या हल्के रंग के कपड़े पहनें, ताकि दूर से दिख सकें।


प्रशासन की तैयारी: क्या ज़िला स्तर पर कुछ बदलने वाला है?

IMD के ठंड अलर्ट के बाद ज़रूरत है कि अररिया ज़िला प्रशासन समय रहते कुछ ठोस कदम उठाए, जैसे:

  • रात में खुले आसमान के नीचे सोने वाले बेघर लोगों के लिए

    • बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बड़े मंदिरों और अस्पतालों के पास रैन बसेरा / नाइट शेल्टर की व्यवस्था,

    • वहाँ पर कंबल और गरम चाय/चाय की व्यवस्था।

  • पंचायत और वार्ड स्तर पर

    • बहुत ज़्यादा गरीब परिवारों तक कंबल वितरण योजनाओं को तेज़ी से पहुँचाना,

    • आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से बुज़ुर्ग और बीमार लोगों की पहचान करना।

  • अस्पतालों और PHC/CHC में

    • सर्दी-खांसी और निमोनिया के मरीज़ों के लिए पर्याप्त दवाइयों और बेड की उपलब्धता,

    • डॉक्टरों और नर्सों की ड्यूटी रोस्टर इस तरह बनाना कि आपात स्थिति में तुरंत इलाज मिल सके।


घरों में कैसे करें ठंड से बचाव?

यह सिर्फ़ सरकार या प्रशासन की ज़िम्मेदारी नहीं, हर परिवार को भी ठंड से लड़ने के लिए अपने स्तर पर तैयारी करनी होगी।

1. कपड़े और बिस्तर

  • एक मोटा स्वेटर पहनने की बजाय 2–3 लेयर हल्के कपड़े पहनना बेहतर होता है।

  • रात को सोते समय रज़ाई/कंबल के साथ सिर को ढकने के लिए टोपी या दुपट्टे का इस्तेमाल करें।

  • छोटे बच्चों के हाथ-पैर खुले न रहें, सॉक्स और ग्लव्स ज़रूर पहनाएँ।

2. खान-पान

  • सर्दी के मौसम में

    • अदरक, लहसुन, हल्दी, गुड़, तिल, मूँगफली,

    • हरी सब्ज़ियाँ, गाजर, पालक, सरसों का साग
      शामिल करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ती है।

  • ठंडी बोतल, आइसक्रीम, और बहुत ज़्यादा ठंडा पानी पीने से बचें।

  • शाम के बाद हल्का गरम पानी या हर्बल चाय, सूप आदि लेना फायदेमंद रहता है।

3. हीटर और अंगीठी का इस्तेमाल सावधानी से करें

  • बंद कमरे में अंगीठी या कोयले की भट्टी जलाकर सोना बहुत ख़तरनाक है – इससे दम घुटने या गैस से मौत तक हो सकती है।

  • अगर हीटर इस्तेमाल कर रहे हैं, तो कमरे की हल्की वेंटिलेशन बनाए रखें।

निष्कर्ष: IMD का अलर्ट एक चेतावनी, घबराहट नहीं – तैयारी ज़रूरी

IMD की ठंड बढ़ने की चेतावनी अररिया और पूरे सीमांचल के लिए एक समय रहते दिया गया संदेश है। इसे घबराहट के रूप में नहीं, बल्कि तैयारी के मौक़े के रूप में देखना चाहिए।

  • अगर प्रशासन समय पर कदम उठाए,

  • समाज के सक्षम लोग ग़रीब और बेसहारा लोगों की मदद करें,

  • किसान मौसम अपडेट पर नज़र रखकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करें,

  • और हर घर अपने स्तर पर बचाव की तैयारी कर ले,

ठंड का प्रकोप कितना भी बढ़े, इसके नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

SimanchalNews.in अपने पाठकों से अपील करता है कि:

“ठंड से बचें, दूसरों को भी बचाएँ।
अपने आसपास किसी बुज़ुर्ग, बेसहारा या बहुत ग़रीब परिवार को देखें
तो कम से कम एक कंबल, एक स्वेटर या एक गरम चाय की मदद ज़रूर करें।”

Author

  • SRJ
    Editor at SimanchalNews.in
    Passionate about bringing local stories and insightful news to Simanchal region. With over 2 years of journalism experience, I believe in fair, balanced reporting.

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